शहर के पांच होटल संचालक भटक रहे भुगतान के लिए

कोरोना की मार से आहत…फाईल रूकी कलेक्ट्रेट में…भुगतान करना है स्वास्थ्य विभाग को

होटलों में रूके हैं मेडिकल स्टॉफ एवं पुलिसकर्मी

उज्जैन:शहर के पांच होटल संचालकों ने अपने-अपने आवेदन कलेक्टर को दिए हैं। इन्होने मांग की है कि उनके होटल को जिला प्रशासन ने डॉक्टर्स, मेडिकल स्टॉफ और पुलिसकर्मियों के लिए लिया हुआ है। मार्च माह के अंत से लिए गए इन संस्थानों को आज दिनांक तक एक रूपए का भी भुगतान नहीं हुआ है। इस बीच ये संस्थान कर्मचारियों के वेतन, रखरखाव, बिजली,पानी पर हजारों रूपये खर्च कर चुके हैं।

शहर के अबिका होटल, इम्पीरियल होटल, मित्तल एवेन्यु, सालिटियर एवं केजीसी को जिला प्रशासन ने कोरोना महामारी से लडऩे ेवाले डॉक्टर्स, मेडिकल स्टॉफ, पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के बाद घर न भेजते हुए यहीं पर आवास की व्यवस्था इन होटलों की गई है। मार्च माह के अंत से आज दिनांक तक पांचों होटल इन्ही कोरोना योद्धाओं के लिए आरक्षित हैं ओर वे इसमें रह रहे हैं।

जब होटलों को छूट मिली तो इन पांचों होटलों के संचालकों ने अलग-अलग जाकर प्रशासन को पत्र दिया और मांग की कि उन्हे इतनी राशि तो भुगतान की जाए, जिससे वे कर्मचारियों का वेतन, रखरखाव, बिजली, पानी आदि पर खर्च कर सकें। पूरी गर्मी एसी चल रहे हैं। इसके कारण बिजली का बिल ही हजारों रूपयों में आ रहा है। इनका कहना रहा कि अन्य होटलों को तो अब ग्राहक मिल रहे हैं। लेकिन उनके यहां कोरोना योद्धा रह रहे हैं, जो कि प्रतिदिन हॉस्पिटल, कंटेनमेंट एरिया आदि में ड्यूटी कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट के सूत्रों के अनुसार जिला प्रशासन ने इन होटलवालों को प्रति रूम 700 रू. प्रतिदिन का भुगतान करने की मौखिक स्वीकृति दे दी है। इनके आवेदन के साथ फाईल भोपाल स्वीकृति के लिए गई है। स्वीकृति होते ही सीएमएचओ कार्यालय से भुगतान हो जाएगा।

 

मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग की तीनों होटलों को क्यों नहीं किया आरक्षित..?

यहां एक प्रश्न वल्लभ भवन से ही उठ रहा है। सूत्रों के अनुसार भोपाल से यह बात कही गई है कि उज्जैन में यात्रिका, शिप्रा होटल एवं उज्जयिनी होटल खाली पड़ी है। आमदनी के अभाव में शिप्रा होटल कोरोना मरीजों एवं ड्यूटी में लगे लोगों का दोनों समय का भोजन 100 रू. प्रति प्लेट के हिसाब से पार्सल कर रहा है, ताकि होटल के रखरखाव के खर्चो की पूर्ति कर सके।

ऐसे में यदि यह तीनों होटल जिला प्रशासन आरक्षित कर लेता तो आज लाखों रूपये का भुगतान उक्तपांच होटलों को नहीं करना पड़ता। सरकार का रूपया सरकार के ही पास रहता। पांचों होटल के कुल संभावित कक्षों को यदि जोड़ा जाए तो 250 होते हैं। प्रतिदिन 700 रू.प्रति कक्ष के हिसाब से प्रतिदिन का खर्च राज्य शासन को आ रहा है एक लाख 75 हजार रू.। ऐसे में करीब तीन माह की राशि ही डेढ़ करोड़ रूपये में हो जाएगी।

 

इनका कहना है

इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. महावीर खण्डेलवाल का कहना है कि कलेक्ट्रेट से जानकारी मिल गई है। जैसे ही स्वीकृत फाईल आ जाएगी, हम पांचों होटलों को स्वीकृत राशि भुगतान कर देंगे। उन्होने बताया कि अभी तो ये पांचों होटल प्रशासन के पास ही रहेगी।

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